Sachin Tendulkar & Binod Kambli: अपने कोच रमाकांत आचरेकर को समर्पित एक खास पल

Sachin Tendulkar & Binod Kambli: अपने कोच रमाकांत आचरेकर को समर्पित एक खास पल

Sachin Tendulkar & Binod Kambli भारतीय क्रिकेट के इतिहास में ऐसे कई पल हैं जो हमेशा याद रखे जाते हैं। ऐसा ही एक खास पल हाल ही में देखने को मिला जब क्रिकेट के दो महान खिलाड़ी Sachin Tendulkar & Binod Kambli ने अपने गुरु और कोच रमाकांत आचरेकर को श्रद्धांजलि देने के लिए एक बार फिर साथ आए। यह आयोजन न केवल उनके कोच को सम्मानित करने का अवसर था, बल्कि क्रिकेट प्रेमियों के लिए भी एक भावनात्मक क्षण था।

कोच रमाकांत आचरेकर: एक महान गुरु

रमाकांत आचरेकर भारतीय क्रिकेट के ऐसे कोच थे जिन्होंने न केवल खिलाड़ियों को तकनीकी ज्ञान दिया, बल्कि उनमें खेल के प्रति अनुशासन और समर्पण का भी संचार किया। उनके मार्गदर्शन में सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली जैसे खिलाड़ी उभरकर सामने आए, जिन्होंने विश्व क्रिकेट में भारत का नाम रोशन किया। आचरेकर सर का कोचिंग स्टाइल सख्त था, लेकिन उन्होंने अपने छात्रों को एक मजबूत मानसिकता और खेल के प्रति ईमानदारी सिखाई।

सचिन और कांबली का अनोखा रिश्ता

Sachin Tendulkar & Binod Kambli दोनों शारदाश्रम विद्यामंदिर स्कूल में Ramakant Achrekar के संरक्षण में खेलते थे। इनकी दोस्ती मैदान के बाहर भी उतनी ही मजबूत थी जितनी पिच पर। 1988 में हैरिस शील्ड टूर्नामेंट के दौरान दोनों ने एक पारी में 664 रनों की साझेदारी की थी, जो आज भी एक रिकॉर्ड के रूप में दर्ज है। हालांकि, समय के साथ दोनों के करियर ने अलग-अलग रास्ते पकड़े, लेकिन उनकी दोस्ती और अपने कोच के प्रति सम्मान कभी कम नहीं हुआ।

श्रद्धांजलि का अवसर

इस खास मौके पर सचिन और Binod Kambli ने अपने कोच के योगदान को याद किया। sachin ने भावुक होकर कहा कि आचरेकर सर ने उनकी जिंदगी और करियर में जो योगदान दिया, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। उन्होंने न केवल उन्हें एक बेहतर खिलाड़ी बनाया, बल्कि एक बेहतर इंसान भी बनने में मदद की। कांबली ने भी आचरेकर सर के प्रति अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा कि उनकी मेहनत और मार्गदर्शन के बिना वे इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाते।

Sachin Tendulkar & Binod Kambli

यादों का संजोया जाना

इस आयोजन में पुराने साथियों ने अपनी यादें साझा कीं। मैदान पर बिताए गए दिन, कोच की डांट, और उनकी सलाह—हर बात ने उन सभी को भावुक कर दिया। Sachin ने एक मजेदार घटना का जिक्र किया जिसमें आचरेकर सर घंटों तक उन्हें प्रैक्टिस कराते थे और बीच-बीच में डांट भी देते थे, लेकिन उनका हर शब्द प्रेरणा से भरा होता था।

प्रेरणा और आदर्श

आचरेकर सर का जीवन हमें सिखाता है कि सही दिशा और समर्पण से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। उन्होंने कई युवा क्रिकेटरों को निखारा और भारतीय क्रिकेट को मजबूत आधार दिया। उनकी कोचिंग का प्रभाव न केवल उनके छात्रों के खेल पर दिखा, बल्कि उनके व्यक्तित्व में भी झलका।

Sachin Tendulkar & Binod Kambli

निष्कर्ष

Sachin Tendulkar & Binod Kambli का अपने कोच रमाकांत आचरेकर को श्रद्धांजलि देने के लिए एक साथ आना हमें यह याद दिलाता है कि सफलता के पीछे हमेशा किसी न किसी का मार्गदर्शन होता है। यह आयोजन न केवल क्रिकेट के प्रति आभार व्यक्त करने का तरीका था, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए एक संदेश भी था कि अपने गुरुओं का सम्मान करना कितना महत्वपूर्ण है।

आचरेकर सर के योगदान को शब्दों में पिरोना मुश्किल है, लेकिन सचिन और कांबली का यह कदम उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। उनका यह पुनर्मिलन क्रिकेट प्रेमियों के लिए भी एक भावुक क्षण बन गया, जो हमेशा याद किया जाएगा।

 

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